शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

= सुन्दर पदावली(१४. निमात छंद) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (१४. निमात छंद) =*
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*मनहर* 
*जप तप करत धरत ब्रत जत सत,* 
*मन बच क्रम भ्रम कषट सहत तन ।* 
*बलकल बसन अशन फल पत्र जल,* 
*कसत रसन रस तजत बसत वन ॥* 
*जरत मरत नर गरत परत सर,* 
*कहत लहत हय गय दल बल धन ।* 
*पचत पचत भव भय न टरत शठ,* 
*घट घट प्रगट रहत न लखत जन ॥२१॥* 
(इस छंद के सब अक्षर अकारान्त हैं ।) 
नाम जप एवं तपश्चर्या करने से, यज्ञ एवं दान करने से, तीर्थयात्रा, व्रत यम एवं नियम के पालन से भक्त को अभिमान हो जाता है अर्थात् ज्ञान के बिना ईश्वर प्राप्ति नहीं है ॥२१॥
(क्रमशः)

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