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*जिसका तिसको दीजिये, सुकृत पर उपकार ।*
*दादू सेवक सो भला, सिर नहिं लेवे भार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ महन्त Ram Gopal तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *न्याय*
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पवित्र सच्चा न्यायाधीश न्यायासन पर बैठकर न्याय - अन्याय को प्रत्यक्ष देखता है तथा अन्याय नहीं करता । एक मनुष्यघाती के मनुष्य न मारने के विशेष प्रमाण मिलने तथा अपने मित्रों की उसके बचाने की प्रार्थना सुनकर भी एक न्यायाधीश ने न्यायासन पर बैठ कर उसे फाँसी की सजा दे दी । दोषी के वकील ने इस पर आपत्ति उठाई, न्यायाधीश बने उसे न्याय की कुर्सी पर बैठकर देखने के लिये कहा ।
वकील ने कुर्सी पर बैठकर देखा तो दिखाई दिया कि जिसकी हिंसा के लिये उसे फांसी की सजा दी थी उसको वह बड़ी निर्दयता के साथ मार रहा है । यह देख वकील चुप हो गया । इससे सूचित होता है कि सच्चे न्यायाधीश से अन्याय नहीं हो सकता ।
न्यायासन पर शुचि मनुज, करत अवश्यहि न्याय ।
हिसंक को हिंसकहि लख, फांसी दई सुनाय ॥१०९॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^
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