卐 सत्यराम सा 卐
४०७. पराभक्ति (श्री दादू वाणी)
राम तूँ मोरा हौं तोरा, पाइन परत निहोरा ॥टेक॥
एकै संगैं वासा, तुम ठाकुर हम दासा ॥१॥
तन मन तुम कौं देबा, तेज पुंज हम लेबा ॥२॥
रस मॉंही रस होइबा, ज्योति स्वरूपी जोइबा ॥३॥
ब्रह्म जीव का मेला, दादू नूर अकेला ॥४॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें