🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू जल दल राम का, हम लेवैं परसाद ।*
*संसार का समझैं नहीं, अविगत भाव अगाध ॥*
====================
*श्री रज्जबवाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
*विश्वास संतोष का अंग ११२*
.
जन रज्जब अज्जब कही, सुनहु सनेही दास ।
बिन परिचय परिचय भया, जब आया विश्वास ॥४९॥
हे प्रेमी भक्त ! सुन, हमने यह विश्वास की बात अदभुत कही है, जब प्राणी में ईश्वर विश्वास आ जाता है तब बिना परिचय भी ईश्वर से परिचय हो जाता है ।
.
धरे अधर का मूल है, नाम निरंजन पास ।
जन रज्जब विश्वास इस, करै कौन की आस ॥५०॥
सगुण और निर्गुण की प्राप्ति का मूल कारण निरंजन का नाम तेरे पास है, जिसे इस नाम का विश्वास है वह अन्य किसकी आशा करेगा ?
.
मनिख१ मनिख को सेवतों, सुख संपति इहिं मौन ।
जो रज्जब राम हिं भजे, तिनके टोटा२ कौन ॥५१॥
इस लोक में मनुष्य१ को मनुष्य की सेवा करने पर भी सुख संपति प्राप्त होती है फिर जो राम का भजन करते हैं, उनको तो कमी२ क्या रहती है ।
.
चिंता अणचिंता भरै, उदर को सु अविगत्त१ ।
तो रज्जब विश्वास गहि, शोधर२ साधू मत्त३ ॥५२॥
पेट भरने की चिंता करो या मत करो, परमात्मा१ तो पेट भर ही देते हैं, तब संतों के सिद्धान्त३ को खोज२ करके विश्वास को ही ग्रहण कर ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें