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*आप अकेला सब करै, औरों के सिर देइ ।*
*दादू शोभा दास को, अपना नाम न लेइ ॥*
*आप अकेला सब करै, घट में लहरि उठाइ ।*
*दादू सिर दे जीव के, यों न्यारा ह्वै जाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *अर्चना भक्ति*
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सीवां जी काबा जाति के थे, भगवत् पूजा में उनकी बहुत प्रीती थी । जब अजीज खाँ एक बड़ी सेना लेकर द्वारिका पर चढ़ आया था और मंदिर तथा पुरी को अग्नि आदि से नष्ट -भ्रष्ट करने लगा तब भगवान ने सीवांजी से सहायता माँगी । सीवांजी कुछ सवारों के साथ द्वारिका आये और धोर युद्ध करके सेना सहित आजीज खाँ को मार डाला । इससे सीवांजी की कीर्ति हो गई । इस कथा से ज्ञात होता है कि भगवान अपने कार्य को भक्त से करा कर उसका प्रताप प्रगट करते हैं ।
निज पूजक की सहाय ले, करें प्रगट तिहिं आप ।
सीवां से ले सहायता, कीन्हा प्रगट प्रताप ॥१४०॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^
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