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*मूसा जलता देख कर, दादू हंस दयाल ।*
*मान सरोवर ले चल्या, पंखा काटे काल ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ निगुणा का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *वेर भक्ति*
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हिरण्याक्ष, हिरण्यकशिपु, रावण, कुंभकरण, शिशुपाल आदि शत्रु भाव के भक्त थे । वे भगवान को शत्रु मानकर उनका चिंतन प्रति पल करते रहते थे । इसी से भगवान ने उनके लिये अवतार लेकर उन्हें पाप शरीरों से मुक्त किया था । यह अति प्रसिद्ध है । इससे सूचित होता है कि भगवान शत्रु भाव के भक्तों के लिये भी अवतार धारण करके वास्तव में उनका हित ही करते हैं ।
शत्रु भक्त के लिये भी, हरि लेत अवतार ।
हिरण्याक्ष आदिकन हित, प्रगट भये करतार ॥२८४॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
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