🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*मन मनसा जीते नहीं, पंच न जीते प्राण ।*
*दादू रिपु जीते नहीं, कहैं हम शूर सुजान ॥*
(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)
=================
*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
.
(२१)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।
हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥२१॥
ताड़कापुत्र मारीच को काट मारने से प्रसिद्ध, अपनी वाणी से पाप का नाश करने वाले, जिनका नाम मनभावन है, हाय, असहाय सीता अपने उस स्वामी राम के बिना व्याकुल हो गई(मारीच द्वारा राम के स्वर में सीता को पुकारने से) ॥२१॥
Rama, whose name, delightful to the heart, destroys all sins, shone by his killing of the son of Thataka, Maricha. Alas! Seetha with no one to help, without her Lord, became perturbed (by hearing the shouts of Maricha.) .(21)
.
(२१)
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥२१॥
प्रद्युम्न संग देवलोक में विचरण कर रहे कृष्ण को रोकने में, पुत्र जयंत के शत्रु प्रद्युम्न के अट्टहास को अपनी बाणवर्षा से काट कर शांत करनेवाले, अथाह संपत्ति के स्वामी, पर्वतों के आक्रमणकर्ता इंद्र, असमर्थ हो गए ॥२१॥
Indra who had all riches, the vanquisher of mountains and who was able to quell the pride of Pradhyumna, who defeated Jayantha, with his arrows, was not able to follow Krishna who roamed around the heaven with Pradhyumna .(21)
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें