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*दादू जरा काल जामण मरण, जहाँ जहाँ जीव जाइ ।*
*भक्ति परायण लीन मन, ताको काल न खाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ सजीवन का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु*, *अर्चना भक्ति*
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श्वेत मुनि भगवान शंकरजी की पूजा में ही लगे रहते थे । अन्त समय उन्हें लेने को काल आया । उसके भय से वे शिवलिंग को छाती से लगा कर बैठ गये और विश्वास पूर्वक भगवान शंकर का स्मरण करने लगे । तत्काल शंकरजी प्रगट हो गये और श्वेत मुनि की पीठ पर अपना वरद हस्त रख कर उन्हें काल से बचा लिया और नन्दी के आग्रह पर काल का अपराध क्षमा हुआ । इससे सूचित होता है कि पूजा से मृत्यु भी टल जाती है ।
पूजा से जय मृत्यु पर, होती संशय नाँहिं ।
श्वैत बचे शिवलिंग को, लगा अंक के माँहिं ॥१४६॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^
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