शनिवार, 6 जून 2020

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*दादू शब्द बाण गुरु साध के, दूर दिसन्तरि जाइ ।*
*जिहि लागे सो ऊबरे, सूते लिये जगाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ गुरुदेव का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु*, *श्रवण भक्ति*
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नरेना गांव में संतवर दादूजी मार्ग पर जा रहे थे । बखना अपने साथियों के साथ चदुंग बजाते हुये होली के गीत गा रहे थे । उन्हें देख दादूजी ने कहा - 'अरे ! तेरा यह सुन्दर शरीर तो भगवान ने भक्ति करने के लिये रचा था । तू ये गन्दे गीत क्यों गा रहा है । भगवान के गुण क्यों नहीं गाता ?' यह सुनते ही बखना के शरीर में बीजली सी दौड़ गई । तत्काल उनका जीवन बदल गया । वे दादूजी के चरणों में आ पड़े और आगे चलकर अच्छे संत तथा वाणीकार भी हुये । इससे सूचित होता है कि श्रवण से क्षण भर में जीवन बदल जाता है ।
बदलत जीवन श्रवण से, क्षण में देखा जाय ।
बखना का बदला तुरंत, दादू बचन मन लाय ॥३१॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^

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