🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*अजब अनूपम हार है, सांई सरीषा सोइ ।*
*दादू आतम राम गल, जहाँ न देखे कोइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
================
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
.
*भक्तमाल*
*फूल भये रस पंचम रंगन,*
*थाकन१ दे यह दाम२ बनाई ।*
*राघव मालिनी लेकर साम्हनि,*
*सुन्दर देख हरी मन भाई ॥*
*डार लई गल प्रीति घणी३ कर,*
*काढत ताहि न ऐन४ सुहाई ।*
*भार भयो बहू भक्तन की छवि५,*
*जानत है इमि पायन आई ॥५॥*
इस भक्तमाल रूप पुष्प माला के पांच रस ही पांच रंग के पुष्प हैं । वात्सल्य रस स्वर्ण के समान पीला रंग है । दास्यरस चित्रविचित्र रंग है । सख्य रस लाल रंग है । शांत रस श्वेत रंग है । श्रृंगार रस श्याम रंग है । इन पंच रस रूप पंचरंग के पुष्पों के अच्छे अच्छे गुच्छे१ लगाकर राघवदास रूप मालिनी ने यह माला२ बनाई और हरि को पहनाने के लिये हाथों में लेकर हरि के सामने उपस्थित हुई । इस सुन्दर माला को जब हरि ने देखा तो हरि के मन को भी यह अति प्रिय लगी ।
हरि ने इसे अत्यन्त३ प्रीति पूर्वक अपने गले में डाल ली तथा सदा धारण करने योग्य४ और सुहावनी होने से अपने गले से कभी नहीं निकालते । आपने धारण तो की थी कंठ में किन्तु आप जानते ही हैं इसमें भक्तों की भक्ति रूप शोभा५ का बहुत भार हो जाने से यह माला नीची झुककर भगवान् के चरण कमलों में आ लगी है । भक्तों में नम्रता होती ही है वे भगवान् के चरणों में ही पहुँचते हैं, तब भक्तमाल भगवत चरणों में जा लगे इसमें क्या आश्चर्य है ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें