🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#श्रीदादूवाणी०भावार्थदीपिका* 🌷
भाष्यकार - ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी आत्माराम जी महाराज, व्याकरणवेदान्ताचार्य । साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ
*#हस्तलिखित०दादूवाणी* सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
(#श्रीदादूवाणी ~ १६. मध्य का अंग)
.
*॥ मध्य ॥*
*दादू पखा पखी संसार सब, निर्पख विरला कोइ ।*
*सोई निर्पख होइगा, जाके नाम निरंजन होइ ॥६०॥*
सारा संसार पक्षपात से भरा पड़ा है । केवल हरिभक्त ही निष्पक्ष होते हैं । क्योंकि वे निष्पक्ष भाव से हरि को भजते हैं । अतः संसार में निष्पक्ष मिलना दुर्लभ है ।
.
*अपने अपने पंथ की, सब को कहै बढाइ ।*
*तातैं दादू एक सौं, अन्तरगति ल्यौ लाइ ॥६१॥*
सभी लोग अपने-अपने मत की प्रशंसा करते हैं । मैं तो निष्पक्ष भाव से हृदय में हरि को ही अन्तर्मुखवृत्ति से भजता हूँ ।
.
*दादू द्वै पख दूर कर, निर्पख निर्मल नांव ।*
*आपा मेटै हरि भजै, ताकी मैं बलि जांव ॥६२॥*
जो भेदभाव को त्यागकर, अभिमान से रहित होकर परमात्मा के निर्मल नाम का स्मरण करता है, मैं उसके चरणों में नमस्कार करता हूँ ।
.
*॥ सजीवन ॥*
*दादू तज संसार सब, रहै निराला होइ ।*
*अविनाशी के आसरे, काल न लागै कोइ ॥६३॥*
जो इस संसार में मत-मतान्तर के वाद-विवाद को छोड़कर वासनारहित निर्द्वन्द्व होकर अविनाशी ब्रह्म को भजता है, उसको काल का भी भय नहीं होता ।
.
*॥ मत्सर ईर्ष्या ॥*
*कलियुग कूकर कलमुँहा, उठ-उठ लागै धाइ ।*
*दादू क्यों करि छूटिये, कलियुग बड़ी बलाइ ॥६४॥*
इस कलिकाल में संसारी पुरुष कुत्तों की तरह सत्पुरुषों से ईर्ष्या करते हैं । अनेक प्रकार से सन्तों को कष्ट देते हैं । हरिभक्ति में विघ्न पैदा करते हैं इसलिये वे विपत्ति के समान हैं । उनसे सदा सावधान रहना चाहिये ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें