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🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*दादू झूठे तन के कारणै, कीये बहुत विकार ।*
*गृह दारा धन संपदा, पूत कुटुम्ब परिवार ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ माया का अंग)*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु*, *हिंसा*
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राजा सुद्युम्र मृगया(शिकार) के लोभ में इलाबृत्त खण्ड में चले गये थे । उस स्थान में पुरुष जाति का कोई भी प्राणी चला जाय तो स्त्री बन जाता है । यह शिवजी का शाप है । राजा को इसका कोई ज्ञान न रहा, वह अपने साथियों के साथ स्त्री बन गया और चन्द्र पुत्र बुध की पत्नि बन कर रहा । इसी से पुरुर्वा नामक पुत्र जन्मा जिससे चन्द्रवंश चला । और राजा भानुप्रताप भी मृगया के लोभवश हो कपटमुनी के आश्रम में पहंचे थे । जिससे कपटमुनी के वश होकर कुल सहित नष्ट हो गये । यह कथा मानस रामायण में प्रसिद्ध है ।
मृगया वश खो बोध को, पाते है अति ताप ।
स्त्री सुद्युम्न नृप अरु मरे, कुल सह भानुप्रताप ॥१८०॥
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