शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*दादू जन्म गया सब देखतां, झूठी के संग लाग ।*
*साचे प्रीतम को मिले, भाग सके तो भाग ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ माया का अंग)*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु*, *कृपणता*
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एक राजा अन्य राजा को जीतकर वहां ही कुछ समय ठहर गये, पीछे से रानी को काम ने सताया । उसने एक सेठ के पुत्र को युवा तथा स्वरूप देखकर बुलवाया । वह रानी से बात कर ही रहा था कि राजा आ गये । रानी ने उसे जाजरू के नीचे खड़ा कर दिया । राजा को दस्त लगा, वह मल सेठ के पुत्र के शिर पर पड़ा, जब राजा महल से बाहर गया तब रानी ने उसे निकाला, युवक को इससे बड़ी धृणा हुई । जब रानी ने उसे पुन: बुलाया तो वह बोला - "एक दिन पर स्त्री के साथ बात करने से मेरी जो दशा हुई सो मैं जानता हूँ अब नहीं आऊंगा ।
लव भी पर तिय संग है, दुर्गति का हि निदान ।
सेठ पुत्र शिर मल पड़ा, गया न पुन: सुजान ॥१८॥

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