बुधवार, 2 सितंबर 2020

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*सोधी नहीं शरीर की, औरों को उपदेश ।*
*दादू अचरज देखिया, ये जाहिंगे किस देस ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ गुरुदेव का अंग)*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु*, *दंभ*
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दंभी जन के जाल में, बड़े-बड़े फंस जाय ।
नगर फतहपुर की कथा, सुंदर निज मुख गाय ॥११९॥
फतहपुर शेखावटी में संत सुन्दरदासजी थे । एक पाखंडी साधु आया और नगर के स्थान में बैठकर लोगों को बहकाना आरंभ किया । किसी के पुत्र देने के लिये भूषण मंगाने को कहा किसी को पति वश, किसी को पत्नी वश के लिये । किसी को हाथ का भूषण, किसी के गले का भूषण मंगवाकर नियत दिन की रात को सब को लेकर चला गया । वही घटना सुन्दरदासजी ने अपने एक सवैया में कही है, सो यह है -
आसन मारि संभारि जटा नख
उज्जल अंग विभुति चढाई ।
या हम को कछु देहु दया करि
धेरि रहे बहु लोग लुगाई ॥
कोउक उत्तम भोजन ल्यावत
कोउक ल्यावत पान मिठाई ।
सुन्दर लेकर जात भयो सब
मूरख लोगन या सिधि पाई ॥

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