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स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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(“सप्तमोल्लास” ४/६)
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*सारा देश ही भक्ति में लीन हो गया*
*भयो उछाह देस मंझारी,*
*नाचै गावै अति नर नारी ।*
*लोक महाजन भये तैयारू,*
*पौंण छत्तीसों लीनो लारू ॥४॥*
दादूजी महाराज के पधारने के उपलक्ष में सभी राज्य में बहुत बड़ा उत्सव मनाया जा रहा था । बहुत से नर नारी नाचते, गाते, बजाते आ रहे थे । बहुत से महाजन लोग और सर्व साधारण छतीस जातियों के लोगों को राजा ने साथ लिये साथ नौकर चाकर ठाकुर आदि सभी चले थे ॥४॥
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*देश के राजा प्रजा सभी भक्ति करने लगे*
*चाकर ठाकुर सब चलि आये,*
*बाजे सकल जु तुरत मंगाये ।*
*गाये राग सु गायन गाये,*
*पंडित ज्ञानी हजूरी सब आये ॥५॥*
ठाकुर नौकर आदि सभी दर्शनार्थ चले थे । चलते समय सभी प्रकार के बाजे मंगाकर एक साथ बजाने लगे । उस समय गायक लोग वाद्यों के साथ समय की राग गाने लगे पंडित, ज्ञानी, हजूरिये आदि सब आ गये ॥५॥
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*सखी सखी मिली विनोद उचारे,*
*आप सकल स्यंगार संवारे ।*
*सकल साथ जो भयो तैयारू,*
*बाजे लीये सु बहुत अपारू ॥६॥*
एक सखी दूसरी सखी से मिलकर विनोदपूर्ण शब्द बोलती है और अपना श्रृंगार करती है । जब सब तैयार हो गया सब संघ के साथ-साथ बहुत से बाजे साथ लिये चले ॥६॥
(क्रमशः)

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