शनिवार, 9 जनवरी 2021

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*संसार सागर विषम अति भारी,
*जनि राखै मन मोही ।*
*दादू रे जन राम नाम सौं, कश्मल देही धोई ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पद्यांश. १८४)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------तप
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राजा रुक्मांगद का बाग बड़ा सुन्दर था, उसमें विहार करने के लिये देवताओं की स्त्रियां भी आया करती थीं । एक दिन किसी स्त्री के एक पापमय स्थान के एक पेड़ का कांटा लग गया, इससे उस स्थान पर कुछ ठहरना पड़ा । इतनी ही देर में उस स्थान के प्रभाव से उसके पुण्य क्षीण हो गये । वह स्वर्ग नहीं जा सकी । राजा से प्रार्थना की कि यदि मुझे एकादशी व्रत का पुण्य मिल जाय तो मैं स्वर्ग में जा सकती हूँ । एक सेठ की दासी मार-पीट के कारण एकादशी को भूखी रह गई थी, उसी के पुण्य से वह स्वर्ग को चली गई थी । इससे सिद्ध होता है कि व्रत से पूण्य बढता है ।
पुण्य बढत है व्रत किये, इसमें संशय नांहि ।
एकादशि का पुण्य ले, गई स्वर्ग के मांहि ॥२५०॥

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