रविवार, 3 जनवरी 2021

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*बाकी कौन बिगारै, जाकी आप सुधारै ।*
*कहै दादू सो कबहूँ न हारै, जे जन सांई संभारै ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ विचार का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------अहिंसा
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भक्त रांका कुम्हार आवा लगा रहा था । एक कच्चे मटके में बिल्ली ने बच्चे दिये थे, रांका ने उसे एक ओर रख दिया था । किन्तु भ्रम से उसकी पत्नि ने उसे आवा में चुन दिया । जब अग्नि भली भाँति चेतन हो गई, तब रांका ने उस मटके को देखा, जब वह नहीं मिला, तब स्त्री से पूछा - उसने कहा - उसे तो मैंने आवा में लगा दिया है । ये सुनते ही रांका बड़ा दु:ख हुआ, उसने ईश्वर से प्रार्थना की, तीसरे दिन आवा खोला गया, बच्चे जीवित मिल गये, उस मटके के आंच तक न लगी, वह ज्यों का त्यों कच्चा ही रह गया था ।
होत अहिंसक से कभी, भ्रम से हिंसा काम ।
तो रांका सम करत है, उसकी रक्षा राम ॥१२२॥

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