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*पतिव्रता निज पीव को, सेवै दिन अरु रात ।*
*दादू पति को छाड़ कर, काहू संग न जात ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*पतिव्रतायें ~*
*मूलछप्पय ~*
*आदि शक्ति ॐ नमो, लक्ष्मी उमा ब्रह्माणी ।*
*नमो त्रिपुर कन्या सु, नमो परिवरता राणी ॥*
*सतरूपा देहूति, सुनीति सुमित्रा अहल्या ।*
*कौशल्या तारा चूड़ाला, कहिये पहल्या१ ॥*
*सीता कुन्ती जयन्ती वृन्दा, सत्यभामा द्रौपती ।*
*अदिति यशोदा देवकी, सर्व धर्म सर्वोपती२ ॥*
*मंदवरि त्रिजट मंदालसा, सची अनसूया अंजनी ।*
*जन राघव रामहि मिली, पतिव्रता पतिरंजनी ॥५६॥*
ओंकार स्वरूपा आदि शक्ति महामाया, भगवान् विष्णु की धर्मपत्नी लक्ष्मी, शंकरजी की धर्म पत्नी पार्वतीजी, ब्रह्मा की धर्म पत्नी ब्रह्माणी, इन सबको नमस्कार । त्रिपुर कन्या भी उक्त छप्पय में कथित अन्य पतिव्रताओं के समान महान् पतिव्रता हुई है । विशेष परिचय ज्ञात नहीं हो सका । पतिव्रता को महारानियों को नमस्कार, वा उक्त पतिव्रतायें पतिव्रताओं में महारानियों के समान हैं अतः उन्हें बारम्बार नमस्कार हैं ।
स्वायंभुवमनु की धर्म पत्नी सतरूपा, कर्दम ऋषि की धर्म पत्नी और कपिल की माता देवहूती, उत्तानपाद की धर्मपत्नी और ध्रुव की माता सुनीति, राजा दशरथ की धर्मपत्नी और लक्षमणजी की माता सुमित्रा, गौतम ऋषि की धर्मपत्नी, चिरकारी और शतानन्द की माता अहल्या, दशरथ की धर्म पत्नी और रामजी की माता कौशल्या । बाली की धर्मपत्नी और अंगद की माता तारा, राजर्षि शिखिध्वज की धर्मपत्नी चूड़ाला, ये प्राचीन१ काल की पतिव्रतायें हैं, इन सबको प्रणाम है ।
भगवान् राम की धर्मपत्नी और लवकुश की माता सीताजी, राजर्षि पांडु की धर्मपत्नी युधिष्ठिर, भीम तथा अर्जुन की माता कुन्ती, ऋषभदेवजी की धर्मपत्नी, नवयोगेश्वर और भरत आदि सौ की माता जयन्ती, जलंधर राक्षस की धर्मपत्नी वृन्दा, सत्राजित् की पुत्री और भगवान् श्रीकृष्ण की पटरानी सत्यभामा, राजा द्रुपद की पुत्री और पांडवों की धर्मपत्नी द्रौपदी, दक्ष की पुत्री कश्यपजी की धर्मपत्नी द्वादश आदित्यों की माता अदिति, नन्दगोप की धर्मपत्नी यशोदा, उग्रसेन के भाई देवक की पुत्री वासुदेव की धर्मपत्नी और भगवान् कृष्ण की माता देवकी, ये पतिव्रता आदि सभी धर्मों से सुशोभित२ होती हैं ।
रावण की धर्मपत्नी मेघनाद की माता मन्दवरि(मन्दोदरी), अशोक-वाटिका में सीताजी के पास रहने वाली राक्षसी त्रिजटा, राजर्षि ऋतुध्वज की धर्मपत्नी और अलर्क आदि की माता मदालसा, पुलोमा की पुत्री देवराज इन्द्र की धर्मपत्नी शची, महर्षि अत्रि की धर्मपत्नी दत्तात्रेय, चन्द्रमा और दुर्वासा की माता अनसूया, केशरि वानर की धर्मपत्नी और हनुमान् जी की माता अंजनी, अपनी सेवा से पतियों को प्रसन्न करने वाली ये सभी पतिव्रतायें राम को प्राप्त हुई हैं । मैं सभी को प्रणाम करता हूँ ।
(क्रमशः)

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