मंगलवार, 5 जनवरी 2021

(“सप्तमोल्लास” १/३)

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स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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(“सप्तमोल्लास” १/३)
*ज्ञान माणकदास धराजु जैमल राजा प्रजा* 
*संतों की श्री दादूजी के दर्शना की इच्छा*
*धरयाजु जैमल तब सुधिपाई,*
*स्वामी आये सब सुखदाई ।* 
*ज्ञान दास अरू मांणिकदासू,*
*सब ही संत जु करे उल्हासू ॥१॥* 
इधर राजा धरयाजु जयमल को जब ज्ञात हुआ कि दादू जी महाराज केदार देश टापू में पधार गये हैं तो यह समाचार उनको और उनकी प्रजा को अति सुखप्रद लगा । ज्ञानदास, माणकदासजी तथा अन्य भी सभी राजा संत आनंदित हुये ॥१॥ 
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*सब ही साध कहे जो परसू,*
*चलो बैगि अब कीजे दरसू ।* 
*प्रसन्न भये परम गुरु स्वामी,*
*कृपा कीजै अंतरजामी ॥२॥* 
सब ही संत परस्पर कहने लगे कि शीघ्र ही चलकर दादूजी महाराज का दर्शन करना चाहिये । परम गुरुदेव स्वामी दादूजी प्रसन्न हुये हैं तब ही तो केदार देश में पधारे हैं । हे अंतर्यामी दादूजी महाराज कृपा करके हमें शीघ्र अपने पास बुलाकर दर्शन भी दीजिये ॥२॥ 
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*राजा कहे बिलंब न कीजे,*
*सब ही देस बुलाइए लीजै ।* 
*गांव गांव सब सोधी पाई,*
*नर नारी सब लिये बुलाई ॥३॥*
राजा धरयाजु जैमल ने अपने मंत्री से कहा कि अब देर मत करो, देश में ढिंढोरा फेर दो कि जो स्वामी दादूजी महाराज के दर्शन करना चाहे वे शीघ्र ही आ जायें । इस प्रकार अपने राज्य के ग्रामों को सूचना दे दी और नर नारियों को बुला लिया ॥३॥
(क्रमशः)

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