सोमवार, 18 जनवरी 2021

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🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*सब जग छाड़ै हाथ तैं, तो तुम जनि छाड़हु राम ।*
*नहिं कुछ कारज जगत सौं, तुमहीं सेती काम ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------ईश्वर
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काटली नामक नदी में बाढ आई, उसमें एक झोपा बहता जा रहा था । झोपे में दीपक भी जल रहा था । नवलगढ के पास में रात्रि के समय कुछ लोगों ने उसे निकाला । उसमें एक नव प्रसूता स्त्री अपने बच्चे के सहित खटिया पर पड़ी थी । झोंपे का आंगण भी ज्यों का त्यों था । पानी से कुछ भी खराब नहीं हुआ था । स्त्री और बच्चे को भी कोई कष्ट नहीं हुआ था इससे ज्ञात होता है कि जब भगवान रक्षा करते हैं तब बाल भी बांका नहीं होता ।
जब भगवत रक्षा करे, बाल न बांका होय ।
भव प्रसूति सरि में बची, खेद हुआ नहिं कोय ॥११४॥

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