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*अरस परस मिल खेलिये, तब सुख आनंद होइ ।*
*तन मन मंगल चहुँ दिशि भये, दादू देखे सोइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------ईश्वर
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राक्षस व्यंस का इन्द्र से वैर था और उसकी बहिन का इन्द्र(विष्णु) से अति प्रेम था, इससे उसके पास रहने के लिये विष्णु को नारी बनना पड़ा था और उसका मन्त्र(सलाह) भी मानना पड़ा था । वह विष्णु को शिक्षा देती थी कि - तुम पुरुष से नारी बने हो इसलिये कपड़े ठीक ठीक पहना करो और नारी की भांति चला करो, नहीं तो तुम्हें राक्षस लोग पहचान लेंगे । विष्णुजी को भी कथनानुसार करना पड़ा था, इससे सूचित होता है कि भगवान भक्त के वश में होते हैं ।
भक्त भक्तिवश होत है, ईश्वर भी परतंत्र ।
व्यंस बहिन के साथ बस, माना उसका मंत्र ॥१२३॥

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