शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

= ५३ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*दादू ठग आमेर में, साधौं सौं कहियो ।*
*हम शरणाई राम की, तुम नीके रहियो ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पारीख का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------शान्ति
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संतवर दादूजी जब आँमेर में ठहर रहे थे तब एक भेषधारी ने अपने गांवों में यह प्रचार करके कि - दादू तो मैं हूँ और आँमेर का दादू ठग है दादूजी की निन्दा करना आरम्भ किया और आँमेर जाने वाले लोगों से कहने लगा कि - तुम आँमेर में सब को कह देना कि - "आँमेर का दादू ठग है ।"
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जाने वालों ने दादूजी से भी कहा तब दादूजी को लेश मात्र दु:ख नहीं हुआ और शांती के साथ बोले - "भाईयों ! उन्होने ठीक कहा है, भगवान ही हम को दोषों से बचाते हैं । आप लोग भी सावधान रहें ठग के फंदे में नहीं आवे ।"
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इतना कहकर चुप हो गये । अपने निन्दक के दोष भी प्रकट नहीं किये । इससे ज्ञात होता है कि शांत पुरुष अपने अपवाद से भी क्षुभित नहीं होते ।
शांत पुरुष अपवाद से, क्षुभित न होते लेश ।
दादू ठग सुन दादु को, हुआ न किंचित क्लेश ॥३७०॥

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