🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
*दादू दर्शन की रली, हम को बहुत अपार ।*
*क्या जाणूं कबही मिले, मेरा प्राण आधार ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ विरह का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------भाव
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अल्हण भक्त का सन्तवर दादूजी पर बहुत भाव था । उसने दादूजी के लिये एक कमली(सिर पर ओढने का कपड़ा या वस्त्र) बनवाई थी । उसे वह सदा सिर पर रखता था । कारण ? उसका विचार था कि दादूजी के दर्शन करते ही कमली भेंट करूंगा । यदि घर पर रहेगी तो न मालूम वे कब मिल जायँ । इसलिये बहुत सावधानी से सदा सिर पर ही रखता था । इससे सूचित होता है कि भाव से सावधानता भी रहती है ।
सावधानता भाव से, रहे मनुज के मांहि ।
अल्हण कमली एक क्षण, रखता था कहिं नांहि ॥२॥

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