🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
*काहे को दुख दीजिये, घट घट आत्मराम ।*
*दादू सब संतोंषिये, यह साधु का काम ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ दया निरवैरता का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------अहिंसा
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सन्त दादूजी के शिष्य देवला गांव निवासी दयालदासजी के सन्मुख एक मुगल अपना पालतू चीता एक मृग पर छोड़ने लगा । दयालदासजी ने उसे समझाकर रोका, किन्तु उसने उनकी बात नही मानी । चीते को छोड़ दिया, चीता मृग पर झपटा, समीप में आते ही मृग ने उसके मर्मस्थान पर अपना सींग मारा, जिससे व्याकुल होकर वह बेहोस हो गया । चीते के भारी चोट आने से मुगल को बड़ा दु:ख हुआ । फिर उसने यह सन्त शक्ति समझी तथा संत के चरणों में पड़कर क्षमा भी मांगी ।
जो न अहिंसक बात को, माने होतिहिं हान ।
तज बच दयालदास का, मुगलहिं खेद महान ॥११२॥
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