सोमवार, 11 जनवरी 2021

(“सप्तमोल्लास” १९/२१)

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स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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(“सप्तमोल्लास” १९/२१)
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*सारा राज्य में दादू दादू पुकार*
*दादू दादू कहैं पुकारी,*
*दादू दादू सब नर नारी ।* 
*दादू दादू कौतिगहारू,*
*अंबरि लागी जाई गुंजारू ॥१९॥* 
सब ही दादू-दादू ऊंचे स्वर में पुकार कर रहे थे । सभी नर-नारी भी दादू-दादू पुकार रहे थे । कौतुक हारे तमासगीर भी दादू दादू बोल रहे थे, सबकी आवाज से आकाश ही दादू दादू ध्वनि से गूंज रहा था ॥१९॥ 
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*वस्त्र आदि खूब बांटे*
*बसन अभूशन केते वारै,*
*लेत लेत सु मंगता हारै ।* 
*मुहर रुपैया खिचरी(इकठ्ठे) कीजै,*
*वारि वारि स्वामी परि दीजै ॥२०॥* 
राजा प्रजा लोग बहुत से आभूषण दादूजी पर वार वार के याचकों को दे रहे थे । उस समय याचक भी लेते लेते हार गये थे । मोहरें और रुपयों को मिला मिला कर दादूजी पर वारते थे और याचकों को देते थे । ऐसे ही बार बार करते थे ॥२०॥ 
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*श्री दादू जी ने कहा बहुत दिन बाद मिले*
*‘‘मिले राव बहुत दिन पीछे’’*
*स्वामी वचन कह्यों इक इच्छैं ।* 
*करि प्रणांम अरु नायौ सीसू,*
*हम ही समझाई कहौ जगदीसू ॥२१॥* 
श्री दादूजी महाराज ने राजा धराजू जयमल को स्व इच्छा से यह एक वचन कहा, हे राव आप बहुत दिन पीछे मिले हो तब राजा ने शिर नवा कर प्रणाम करके कहा हे जगदीश रूप स्वामिन बहुत दिन पीछे मिले का आशय क्या है ॥२१॥ 
(क्रमशः)

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