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🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*जे जन जानि जुगति सौं त्यागैं,*
*तिन को निज पद परसै रे ।*
*काल न खाइ, मरै नहिं कबहूँ,*
*दादू तिनको दरशै रे ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पद्यांश. ३४०)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------ब्रह्मचर्य
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हनुमान में जो अमित बल था, जिसकी श्लाधा विश्व विजयी रावण ने भी अपने मुख से की थी । उसका मुख्य कारण उनका बालब्रह्मचारी होना ही था और भीष्म जी जो परशुराम जी आदि को युद्धभूमी में हरा सके थे, उसका हेतु भी उनका ब्रह्मचर्य ही था ।
ब्रह्मचर्य बल-खानि है, इसमें संशय नांहि ।
भीष्म और हनुमान का, कथा विदित भव मांहि ॥७७॥

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