रविवार, 10 जनवरी 2021

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*दादू समर्थ सब विधि सांइयाँ, ताकी मैं बलि जाऊँ ।*
*अंतर एक जु सो बसै, औरां चित्त न लाऊँ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------ईश्वर
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एक भगवत भक्त ब्राह्मण-ब्राह्मणी थे । उनके देश के राजा उनकी कीर्ति सुनकर गुप्त वेष में उनके यहां गया । घर पर अतिथि आया है किन्तु उसे खिलाने के लिये अन्न नहीं, अब क्या किया जाय ? ब्रहामणी को कोई थोड़ा सा दूध दे गया था, कुछ खांड घर में ही मिल गई । ब्राह्मण ने दूध में पक्के हुए पीपल के फल डाल करके खीर बनाकर अतिथि को सप्रेम खिलाई । उसे खाकर राजा बड़ा प्रसन्न हुआ और अपना परिचय देकर के आग्रह-पूर्वक पूछा - यह क्या पदार्थ था ? मैने अपने जीवन में भी यह नहीं खाया । ब्राह्मणी ने सत्य -सत्य कह दिया, सुनकर राजा लज्जित होकर सोचने लगा, ऐसे-ऐसे सज्जन भी मेरे राज में अन्न बिना दुखी हैं, मुझे धिक्कार है, फिर राजा ने उनका सब प्रबन्ध कर दिया, इससे सूचित होता है कि ईश्वर किसी निमित से कृपा करते हैं ।
ईश कृपा जन पर करत, कछुक निमित बनाय ।
नृप रीझत अति विप्र पर, पीपल फल पयखाय ॥७४॥

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