शनिवार, 2 जनवरी 2021

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*काया की संगति तजै, बैठा हरि पद मांहि ।*
*दादू निर्भय ह्वै रहै, कोई गुण व्यापै नांहि ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ विचार का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------निर्भयता
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आज से ८०-९० वर्ष पूर्व की बात है । सांयकाल के समय एक वृद्ध संत शनै: शनै: पुष्कर से अजमेर की और जा रहे थे । मेरी कुटीर के पास आने पर मैंने उनसे कहा - "भगवन् इस समय आगे नहीं जांय, कारण आज कल मार्ग में सिंह का भय है । संत - "मुझे क्या भय है, मेरा रक्षक मेरा निरंजन मेरे साथ है ।" यह सुन मैं चुप रह गया और वे शनै: शनै: आगे बढ गये । इससे सूचित होता है कि संत अपने रक्षक ईश्वर को साथ समझने से ही निर्भय रहते हैं ।
निर्भय रहते सन्तजन, साथ ईश को जान ।
मोर निरंजन साथ है, बोले संत सुजान ॥२८७॥

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