शनिवार, 2 जनवरी 2021

= ४३ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*काल झाल तैं काढ कर, आतम अंग लगाइ ।*
*जीव दया यहु पालिये, दादू अमृत खाइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ दयानिर्वैरता का अंग)*
=================
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------अहिंसा
############################
मारवाड़ में कालीभर नामक एक रेतीले टीले पर एक संत रहा करते थे । आस-पास की बस्तियों से दो बड़े तुम्बे छाछ राबड़ी के और दो झोलियाँ रोटियों की प्रतदिन लाते थे । अपने लिये करीब आधा सेर की एक नारेली भर कर रख लेते थे । शेष सब मिट्टी के कूंडों में डालकर - "आओ-आओ की आवाज लगात थे, तब सब जंगली जीव सर्प चूहा आदि बिलों में रहने वाले, मोर आदि पक्षी, भेड़िये आदि वन के पशु अपने अपने रहने के स्थान छोड़कर वहां पहुँच जाते थे और संत से प्रेम करते हुये सब साथ में खा-पीकर पुन: लौट जाते थे ।
करत अहिंसक से सभी, भलीभांती से नेह ।
कालीभर के संत ढिग, जाते झट तज गेह ॥११७॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें