गुरुवार, 7 जनवरी 2021

(“सप्तमोल्लास” ७/९)

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🦚 *#श्रीसंतगुणसागरामृत०३* 🦚
https://www.facebook.com/DADUVANI
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
.
(“सप्तमोल्लास” ७/९)
.
*जीतना देवलोक में बाजा*
*देव लोक में जेते बाजा,*
*सो सब धरयाजू जैमल साजा ।* 
*दुदुंभी भेरी, रणसींगे, नाला,*
*मृदंग पखावज बाजे बाजा ॥७॥* 
देवलोक में जितने बाजे होते हैं वे सभी साज बाज धराजु जैमल के साथ थे । वे थे दुंदभी, भेरी, रणसींगे, नाला, मृदंग, पखावज आदि ॥७॥ 
.
*अनहद के जैसे स्वर*
*घंटा, झालरि, अति झुणकारा,*
*जंत्र कला, संगीत अपारा ।* 
बेनी भेरि, संख धुनि होई,*
*राइग्रगी, अतसुर सोई ॥८॥*
घंटा, झालर, झुणकारा, बेजु, भेरी, संख, सितार आदि यंत्र संगीत संबन्धी, अनेक प्रकार के बाजों के बजने से गहरा कोलाहल हो रहा था ॥८॥ 
.
*बरगू, ढोल, दमामां बाजै,*
*कोतूहल गहरे सुर गाजै ।* 
*करे उछाह अति मंगल चारा,*
*आतुर संत चलें जो सारा ॥९॥* 
बरगूद्व ढोल, दमामां सितार आदि यंत्र वाद्यों के बजने से अति घ्वनि व कोतूहल हो रहा था । इस प्रकार संत, राजा, प्रजा सभी अति उत्साह से मंगलाचार करके चले ॥९॥ 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें