🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
*साहिब जी की आत्मा, दीजे सुख संतोंष ।*
*दादू दूजा को नहीं, चौदह तीनों लोक ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ दया निर्वैरता का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------उदारता
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बंगाल के गुष्करा नामक छोटे से स्टेशन की बात है । एक बुढिया गाड़ी से उतरने लगी, उसकी गठरी भारी थी । किसी तरह खिसका कर गठरी को डिब्बे की खिड़की तक वह ले गई किन्तु उठा न सकी । बहुतों से प्रार्थना की - कि गठरी को मेरे सिर पर रख दें । किसी ने भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया । गाड़ी छूटने लगी, बुढिया के आंसू गिरने लगे ।
अकस्मात प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे हुये कासिम - बाजार के राजा मणीन्द्रचन्द्र नन्दी की दृष्टि इस बुढिया पर पड़ी, गाड़ी छूटने की घंटी बज चुकी थी किन्तु उन्होंने इसकी परवाह नहीं की । शीध्रता से उतरकर बुढिया के सिर पर गठरी रख दी और झट अपने द्वार पर पहुँचे कि गाड़ी चल दी ।
करत गरीब सहाय में, नहिं उदार संकोच ।
बुढिया सिर गठरी धरी, नृप न नि:संकोच ॥१७०॥

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