मंगलवार, 19 जनवरी 2021

= ७५ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*एकौं लेइ बुलाइ कर, एकौं देइ पठाइ ।*
*दादू अद्भुत साहिबी, क्यों ही लखी न जाइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
=================
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---------ईश्वर
###########################
सखू बाई महाराष्ट्र में कृष्णा नदी के करहाड़ नामक स्थान के ब्राह्मण की पुत्र वधु थी, वह पण्ढरपुर जाना चाहती थी किन्तु घरवालों ने उसे बांध दिया । भगवान सखू का वेष धरकर आप तो बंध गये और उसे खोल दिया । वह पण्ढरपुर गई और प्रतिज्ञा की कि - जब तक इस शरीर में जान है तब तक पण्ढरपुर की सीमा से बाहर नहीं जाऊँगी । वहां ही उसका शरीर छुट गया । 
.
करहाड़ के समीप के किवल गांव के एक ब्राह्मण ने उसे पहचान करके अपने साथियों के साथ उसकी अन्त्येष्टि कर दी, फिर रुकमणीजी ने यह सोचकर कि सखू के स्थान में मेरे स्वामी बहू बने बैठे हैं, उसे जीवित करके करहाड़ भेज दिया, इससे सूचित होता है कि मायारूप महिमा ऐसी अदभुत है कि उससे नहीं होने वाली बात भी हो जाती है शरीर भस्म हो जाने पर भी पुन: बन गया ।
हरि महिमा अदभुत महा, अघटित ही घट जाय ।
भस्मी से पीछा जिया, सखू देह सुखदाय ॥८४॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें