बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

*षट्यति*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*जे जन राते राम सौं, तिनकी मैं बलि जांव ।*
*दादू उन पर वारणे, जे लाग रहे हरि नांव ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*षट्यति*
*छप्पय-*
*लक्ष लक्ष्मण सुकुमार,*
*राम के काम हि लायक ।*
*हेटि हेटि१ हनुमंत,*
*प्रणम्य रघुपति के पायक ॥*
*गरुड़ अतुल-बल वरणि,*
*विष्णु विधना२ को वाहन ।*
*कार्तस्वामि३ शिव सुवन,*
*मदन-जित मन अवगाहन४॥*
*व्यास पुत्र शुकदेव जप,*
*गोरख ज्ञान गिरापती ।*
*रात दिवस रत राम से,*
*राघव येते षट जती ॥७५॥*
रामजी के कार्य करने में सुयोग्य, लक्ष पर वृत्ति रखने वाले सुकुमार लक्ष्मणजी, प्रणाम करने योग्य हैं, रघुपति रामजी का अपने को छोटे से छोटा सेवक मानने वाले हनुमान् जी,
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जिनका बल असीम रूप से वर्णन किया जाता है वे विश्वसृष्टा२ विष्णु भगवान् के वाहन गरुड़जी, मन को मन्थन४ करने वाले काम को जिनने जीता था उन शंकर भगवान् के पुत्र स्वामी कार्तिकेय३,
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व्यास जी के पुत्र और ईश्वर नाम जप में संलग्न रहने वाले शुकदेव जी, ज्ञानमयी गिरा के स्वामी अर्थात् अमोघ वाणी गोरक्षनाथ जी, ये छः ओं यति रात दिन रमता राम में ही अनुरक्त रहते हैं ।
(क्रमशः)

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