गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

*गरुड़*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*दादू राम अगाध है, बेहद लख्या न जाइ ।*
*आदि अंत नहि जाणिये, नाम निरन्तर गाइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*१. गरुड़*
*मनहर-*
*गरुड़ गोपाल जी को आज्ञाकारी आठों याम,*
*सारे हैं अनंत काम ऐसो स्वामी कारजी ।*
*पल मांहिं सकल ब्रह्माण्ड खंड आवे फिरि,*
*बैठत वैकुंठ नाथ चलत अपार जी ।*
*तीनों गुण जीत नीति सु निवृत्ति पद,*
*छाडे विषै भोग रोग साध्यो योग सार जी ।*
*खगपति अति भजनीक हैं रहत दृढ़,*
*राघो कहै रात दिन रटत रंकार जी ॥७६॥*
कश्यप और विनता के परम तेजस्वी पुत्र गरुड जी आठों पहर भगवान् की आज्ञानुसार ही कार्य करते हैं । आप स्वामी का कार्य करने में तो ऐसे कुशल हैं कि इनके समान कोई विरला ही होगा । आपने भगवान् के अनन्त कार्य सिद्ध करे हैं ।
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आप क्षणभर में सारे ब्रह्माण्ड में घूम आते हैं । आप पर वैकुण्ठनाथ भगवान् विष्णु जी विराजते हैं । आप कितने चलते हैं, इसका पार किसी ने नहीं पाया है ।
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तीनों गुणों को जीतकर निवृत्ति पद को प्राप्त करने के लिये आपने सुनीति ग्रहण की है । विषय भोग रूप रोग का त्याग करके सार तत्व की प्राप्ति के लिये योग-साधन किया है ।
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पक्षीपति गरुड़ जी अत्यधिक भगवद् भजन करने वाले तथा अपनी निष्ठा में दृढ़ रहने वाले हैं और रात दिन राम मन्त्र के बीज ‘राँ’ को रटते रहते हैं ।
(क्रमशः)

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