शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

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*कंकर बंध्या गांठड़ी, हीरे के विश्वास ।*
*अंतकाल हरि जौहरी, दादू सूत कपास ॥*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---साधना
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नारनौल के सुप्रसिद्ध साधु सुखानन्दजी की साकाम साधना में विधि का पालन नहीं होने से उनके चित भ्रम हो गया था, फिर से सादा तेजपुंज शब्द बोलते हुये पागलों के समान चींटी आदि को मारते रहते थे । इससे ज्ञात होता है कि सकाम साधना में विधि का त्याग होने से महान् हानि होती है ।
विविध दिन साधन सकाम से, होती हानी महान ।
तेजपुँज करने लगे, सुखानन्द मतिमान ॥१७९॥ 

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