सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

*भजन बल*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*दादू काया कारवीं, पड़त न लागै बार ।*
*बोलणहारा महल में, सो भी चालणहार ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ काल का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*भजन बल*
*अरिल छप्पय-*
*दया धर्म चित राखि,*
*संत को पोषिये ।*
*दुर्बल दुखी अनाथ,*
*तासु को तोषिये ॥*
*कर लीजे इहि बेर,*
*भजन भगवंत को ।*
*पीछे कछू न होय,*
*बुरो दिन अंत को ॥*
*जा दिन तन बल घटे,*
*भजन बल राखि है ।*
*जन राघव गज गीध,*
*अजामिल साखि है ॥८७॥*
दया धर्म को मन में रखते हुये भोजनादि से संतों का पोषण करना चाहिये । जो अर्थ आदि दृष्टि से दुर्बल, रोगादि कारणों से दुःखी और अनाथ हों, उनको भी यथा योग्य संतुष्ट करना चाहिये और....
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इस मनुष्य शरीर की निरोग स्थिति के समय ही भगवान् का भजन कर लेना चाहिये । पीछे अति वृद्ध वा रोगी होने पर कुछ नहीं होगा । जिस दिन मृत्यु होगी वह अंतिम दिन बहुत बुरा होगा, उसे पहले ही याद रखना चाहिये ।
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जिस दिन शरीर का बल घट जायगा, उस मृत्यु के दिन भजन का बल ही रक्षा करेगा । राघवदासजी कहते हैं- इस विषय में गजराज, जटायु और अजामिल की साक्षी सुप्रसिद्ध है । मृत्यु के समय उन तीनों की रक्षा भजन-बल ने ही करी थी ।
(क्रमशः)

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