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*दादू भुरकी राम है, शब्द कहैं गुरु ज्ञान ।*
*तिन शब्दों मन मोहिया, उनमन लागा ध्यान ॥*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---ईश्वर
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अक्रमा नामक एक बालिका थी, वह जब भगवत वचनों का पाठ करने के लिये पुस्तक खोलती, तब कहती थी कि ये सर्वेश्वर श्री भगवान के वचन हैं । बस ऐसा कहते ही प्रीति और भाव के आवेश में आकर मूर्छित हो जाती थी, ऐसा सन्त जन सुनाते आ रहे है ।
ईशवचन महिमा लखत, गद् गद् हो गिर जाय ।
पुस्तक खोलत अक्रमा, मूर्छित संत सुनाय ॥८५॥

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