🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🦚 *#श्रीसंतगुणसागरामृत०३* 🦚
https://www.facebook.com/DADUVANI
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
.
(“अष्टमोल्लास” १०/१२)
.
*नमो नमो आदेस जी, सतगुरु तूं समरथ ।*
*कहा सम महिमां कीजिये, सबही अंग अकथ ॥१०॥*
हे सतगुरु दादूजी आप सर्वशक्तिमान व समर्थ हैं अत: आपको पुन: पुन: प्रणाम करता हूं । आपकी महिमा का किस वस्तु के साथ तुलना करें क्योकि आपके तो सारे ही अंग अकथनीय अर्थात् वाणी से वर्णन करने से परे हैं ॥१०॥
.
*दादू दीन दयाल के, अंग उर नहीं समाहि ।*
*कौन कबीसर कहि सके, सब अंग कहे न जाहि ॥११॥*
दीनों पर दया करने वाले दादूजी के अंग इतने विशिष्ठ एवं विस्तृत हैं कि मेरे हृदय में नहीं समाते । उनके सब अंगों के विषय में कौन सा कवि श्रेष्ठ पूरा वर्णन कर सकता है, कोई नहीं ॥११॥
.
*जैसे विधि तैसो कहयो,*
*अंग भेद सु औरे रहयो ।*
*मुख करि अस्तुति कही न जाई,*
*रामौं नब लागै है पाइ ॥१२॥*
हे सतगुरु दादूजी जिस प्रकार से मेरी बुद्घि में आया उसी प्रकार आपकी महिमा का गान किया आपके अंग भेदों से अज्ञात ही रहा । आपके गुणों व महिमा की स्तुति मुख से नहीं कहीं जा सकती । यह रामूदास नमन कर के आपके चरणकमलों में लगता है ॥१२॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें