शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

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*सेवक की रक्षा करै, सेवक की प्रतिपाल ।*
*सेवग की वाहर चढै, दादू दीन दयाल ॥*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---ईश्वर
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आगरा निवासी प्रेमनिधिजी भगवत पूजा के लिये प्रतिदिन सूर्योदय से पहले ही यमुना का जल ले आते थे । एक दिन भारी बर्षा से कीचड़ हो रहा था, रात अंधेरी थी । प्रेमनिधि के मन में संकल्प हुआ कि जल प्रात: प्रकाश होने पर लायेंगे किन्तु हृदय ने नहीं माना, चल पड़े । भक्त का संकल्प दृढ जानकर उनके आगे आगे भगवान बारह बर्ष की अवस्था के रूप में मशाल लेकर चलने लगे और यमुना पर आकर अदृश्य हो गये । प्रेमनिधि स्नान करके तथा जल लेकर चले तब पुन: मसाल लेकर आगे आगे चलकर उनके स्थान पर पहुँचाकर अन्तर्धान हो गये । भक्त ने भी जान लिया कि ये तो भगवान ही थे ।
भक्त चित्त संकल्प लख, सहाय दें भगवान ।
प्रेमनिधि को पंथ में, किया प्रकाश प्रदान ॥११६॥

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