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*तुम हो तैसी कीजिये, तो छूटेंगे जीव ।*
*हम हैं ऐसी जनि करो, मैं सदके जाऊँ पीव ॥*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---ईश्वर
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दातादीन ने अपने लड़के गोपाल से कहा - बेटा ! भगवान को सदा सब स्थान में व्यापक देखना । गोपाल - वे दिखते तो नहीं ? दातादीन - हम में भगवान को देखने की सामर्थ्य नहीं, किन्तु वे हैं सब स्थान में और हमारे सब कर्मों को देखते रहते हैं । कुछ समय बाद काल पड़ा, दातादीन के खेत में कुछ नहीं हुआ ।
एक दिन गोपाल को साथ लेकर अंधेरी रात में चोरी के विचार से एक किसान के खेत में गया । गोपाल से कहा तू चारों ओर देखता रहना, कोई आवे या देखे तो बता देना । दातादीन खेत में अन्न काटने बैठा । गोपाल - पिता जी ! रुकिये, दातादीन - कोई देखता है क्या ? गोपाल - आपने ही तो कहा था कि "ईश्वर सब कहीं है और सब के काम देखता है, तब क्या खेत काटते नहीं देखेगा ?"
दातादीन पुत्र की बात सुनकर लज्जित हो गया और चोरी का विचार छोड़कर घर लौट आया । इससे सूचित होता है कि ईश्वर को व्यापक देखने से चोरी आदि अनर्थ नहीं होते ।
ईश्वर को व्यापक लखे, चोर आदि नहिं होय ।
ईश लखत सुत वचन सुन, चोरी करी न कोय ॥६२॥
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