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*खेलै शीश उतार कर, अधर एक सौं आइ ।*
*दादू पावै प्रेम रस, सुख में रहै समाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- पतिव्रत
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गोड़ के राजा लक्ष्मणसेन की रानी को उपदेश देते समय जयदेवजी की पत्नि पद्मावती ने कहा था - "सच्ची सती पति मृत्यु सुनकर ही प्राण तज देती है ।" इसलिये पद्मावती की परीक्षा लेने के लिये एक दिन रानी ने मिथ्या ही कहा कि "जयदेवजी को सिंह ने मार दिया ।" यह सुनकर पद्मावती तुरंत मर गई । फिर जयदेव जी ने संकीर्तन के द्वारा जीवित कर दिया था ।
सत्य सती बिना अग्नि ही, सहज सती हो जाय ।
पद्मावति पति मृत्यु सुन, मरी तुरत अकुलाय ॥५९॥
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