रविवार, 4 अप्रैल 2021

*ऊठ चले रिस खाय गहे पद*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
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*दादू चिन्ता राम को, समर्थ सब जाणै ।*
*दादू राम संभाल ले, चिंता जनि आणै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*ऊठ चले रिस खाय गहे पद,*
*जाय कही नृप दौरत आये ।*
*आप दया करि चाह फलावत,*
*आज भयो दिन ये फल पाये ॥*
*मोहि कहो सु करूं अब ही वह,*
*बैन रसाल पिऊं दृग धाये ।*
*रोस गयो सुन मोद भयो उर,*
*पारिख लेन सु बैन सुनाये ॥७८॥*
वे क्रोधित हो, उठकर चल दिये । फिर राजा के सेवकों ने चरणों में पड़कर प्रार्थना की तब रुके । पुनः जाकर राजा को कहा – वे तो जाते हैं । तब राजा दौड़कर आये और नम्रता पूर्वक बोले – प्रभो ! आपने दया करके मेरी इच्छा रूप बेली को फलयुक्त किया है ।
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आज का दिन मेरे लिये बहुत ही अच्छा है । आज मैंने आपके चरणों के दर्शन से होने वाले पुण्य रूप फल प्राप्त किये हैं । आप मुझे जो भी कहेंगे सो मैं अबही करूंगा ।
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आपके अमृत-रस मय वचनों को श्रवण रूप दोनों से पिऊँगा । आपके दर्शन के लिये मेरे नेत्र आतुर होकर दौड़ते हैं ।
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राजा के उक्त वचन सुनकर उनका क्रोध चला गया और हृदय में हर्ष हुआ । फिर परीक्षा लेने के लिये वृद्ध ब्राह्मण ने अपने वचन राजा को सुनायें ।
(क्रमशः)

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