🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🦚 *#श्रीदादूवाणी०भावार्थदीपिका* 🦚
https://www.facebook.com/DADUVANI
भाष्यकार : ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामीआत्माराम जी महाराज,व्याकरण वेदांताचार्य श्रीदादू द्वारा बगड़,झुंझुनूं ।
साभार : महामण्डलेश्वर स्वामीअर्जुनदास जी महाराज,बगड़ झुंझुनूं । साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ
*#हस्तलिखित०दादूवाणी* सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
*(#श्रीदादूवाणी ~ विनती कौ अंग ३४ - ६१/६४)*
.
*समर्थ धोरी कंध धर, रथ ले ओर निवाहि ।*
*मार्ग मांहि न मेलिये, पीछे बिड़द लजाहि ॥६१॥*
मेरे जीवन रथ को धारण करने वाले समर्थ प्रभो ! आप इस शरीर रूपी रथ को अपने कन्धे पर धारण करके अन्त तक निभा दीजिये । मार्ग में मेरा त्याग मत करो । अर्थात् अपने स्वरूप में मिला लीजिये । यदि मध्य में ही त्याग देंगे तो आपकी भक्तवत्सलता रूपी कीर्ति लज्जित होगी । क्योंकि आप अपने भक्तों को कभी नहीं त्यागते ॥६१ ॥
.
*दादू गगन गिरै तब को धरै, धरती-धर छंडै ।*
*जे तुम छाड़हु राम रथ, कंधा को मंडै ॥६२॥*
जो वस्तु आकाश से गिरे उसे पृथ्वी धारण करती है । यदि वह पृथ्वी ही उसको धारण न करे तो फिर उस वस्तु को कौन धारण करेगा । ऐसे ही हे राम ! आप मेरे जीवन रथ को अपने स्वरूप तक न पहुँचा कर मध्य में ही त्याग देंगे तो फिर उसके नीचे कंधा लगा कर कौन पार पहुंचावेगा । अतः आप कृपा करके मुझे अपने में लीन करलें ॥६२॥
.
*अन्तरयामी एक तूँ, आतम के आधार ।*
*जे तुम छाड़हु हाथ तैं, तो कौन संभालणहार ॥६३॥*
हे अन्तर्यामी प्रभो ! इन सब जीवात्माओं के आश्रय तो एक मात्र आप ही हैं । यदि आप ही अपने कृपा हस्त से त्याग देंगे तो फिर इस संसार में हमें आप से मिलाने वाला कौन होगा । आप तो सब जगह पर कृपा ही करते रहते हैं ॥६३॥
.
*तेरा सेवक तुम लगै, तुम्हीं माथै भार ।*
*दादू डूबत रामजी, बेगि उतारो पार ॥६४॥*
आपका यह सेवक सभी साधन प्राप्ति के लिये ही करता है और आप के समक्ष में खड़ा है । अतः इसकी रक्षा का भार आप पर ही निर्भर करता है । हे राम ! यह आपका सेवक दादूदास संसार समुद्र में डूब रहा है । आप शीघ्रता करके मेरा उद्धार कीजिये ॥६४॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें