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*राखणहारा राम है, शिर ऊपर मेरे ।*
*दादू केते पच गये, बैरी बहुतेरे ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- पवित्र सती
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महाराज नल दमयंति को वन में अकेली छोड़कर चले गये तब एक अजगर उसे निगलने लगा था किंतु इसी समय एक व्याध ने अजगर को मार दिया । किंतु फिर उसने दमयंती की और कुदृष्टि की इससे वह निषाद(व्याध) भी उसी समण भस्म हो गया ।
नाश होत तो सती को, लखता तज मर्याद ।
दमयंती दिशि देखतां, हो गया भस्म निषाद ॥५२॥
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