🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*निर्भय बैठा राम जप, कबहूँ काल न खाइ ।*
*जब दादू कुंजर चढै, तब सुनहाँ झख जाइ ॥*
==================
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- पतिव्रत
#######################
प्रतिष्ठानपुर में कौशिक नामका एक अतिक्रोधी निष्ठुर तथा कोढी ब्राह्मण था । उसकी पतिव्रता पत्नि का नाम शाण्डिली था कौशिक एक सुन्दरी वेश्या को देखकर मोहित हो गया । अपनी पत्नि से कहा - "तू मुझे उसके घर ले चल ।" पत्नि के समझने पर भी जब वह नहीं समझा तब उसे कंधे पर चढाकर वहां चली ।
.
रात अंधेरी थी, मार्ग में शूली पर चढे माण्डव्य ऋषि को उस ब्राह्मण का पैर का धक्का लगा, इससे ऋषि ने शाप दिया कि "सूर्य उदय होते ही यह मर जायगा ।" यह सुनकर शाण्डिली बोली - "जब तक मैं न कहूंगी तब तक सूर्य उदय होगा ही नहीं ।" दस दिन हो गये सूर्य नहीं उगे ।
.
सब देवता ब्रह्माजी के पास गये । ब्रह्माजी ने कहा "अत्रि पत्नी अनुसूईया से प्रार्थना करो ।" देवताओं ने जाकर अनुसूईयाजी से प्रार्थना की । अनुसूईया शाण्डिली के पास जाकर बोली - "सती ! तुम सूर्य को उदय होने दो, तुम्हारे पति को मैं जीवित कर दूंगी और वह निरोगा भी हो जायेगा ।" सती ने अनुसूईया की बात मान ली । अनुसुईया ने ही उसके पति को जीवित कर दिया । सब देवता सती का सम्मान करते हुये तथा वर देते हुए अपने अपने लोकों में चले गये ।
तप बल से भी है प्रबल, सती शक्ति सत जान ।
मृत पति को जीवित किया, शाण्डिली ने सह मान ॥५६॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें