सोमवार, 27 सितंबर 2021

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*दादू चिन्ता राम को, समर्थ सब जाणै ।*
*दादू राम संभाल ले, चिंता जनि आणै ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- *॥ ६ प्रार्थना भक्ति ॥*
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*॥ प्रार्थना से कार्य रक्षा ॥*
करे प्रार्थना कार्य की, सहज हि रक्षा होय ।
बाँध अधूरा वृष्टि से, टूट सका नहिं कोय ॥१५९॥
दृष्टांत कथा – एक अँग्रेज अफसर एक बाँध बँधवाने आया था । बाँध पूरा होने में एक ही दिन बच रहा था । उसी दिन रात को भारी वर्षा हुई । अफसर ने देखा कि बाँध अवश्य टूट जायगा । अधीर होकर उसने अपने एक हिन्दू नौकर से बाँध की रक्षा का उपाय पूछा । नौकर – 'सरकार एक उपाय तो है ।' अफसर – 'बताओ फिर जल्दी ।' नौकर –'आप सच्चे मन से सामने वाले मन्दिर में जाकर प्रार्थना करें ।' बाँध की रक्षा हो जायगी ।'
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अफसर वैसा ही किया । आधी रात तक वर्षा होती रही । अफसर का धैर्य छूटने लगा । वह उसी समय बाँध को देखने गया । बाँध पर विचित्र प्रकाश था । जहां से बाँध टूटने का भय था, वहां अति मनोहर दो युवक और एक युवती खड़े हुये मानो बाँध की रक्षा कर रहे हैं ।
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भारी वर्षा होने पर भी पानी बाँध से दो अंगुल कम था । अफसर ने ने आदर से उन्हें प्रणाम किया । जहां प्रार्थना की थी वह मन्दिर सीता – राम – लक्ष्मण का था, जीर्ण हो चला था । अफसर ने उसका जीर्णोद्धार करा दिया । इससे सूचित होता है कि प्रार्थना से बड़े २ कार्यों की भी रक्षा हो जाती है ।

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