शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

= १६ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*भक्त भेख धरि मिथ्या बोलै, निंदा पर अपवाद ।*
*साचे को झूठा कहै, लागै बहु अपराध ॥*
==================
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- *॥ ६ प्रार्थना भक्ति ॥*
#############
*॥ प्रार्थना से अन्य दोष भी क्षमा ॥*
करे प्रार्थना अन्य का, दोष क्षमा हो जाय ।
दादु विनय से मान पर, दुख न उसी क्षण आय ॥ १५२ ॥
दृष्टांत कथा – आँमेर नरेश मानसिंहजी ने दुर्जनों के बहकाने से सन्तवर दादूजी से तर्क दृष्टि से कु प्रश्न किये थे । उनका उचित उत्तर मिलने पर राजा ने कहा – 'आप यहां कितने समय से रहते हैं ?' दादूजी – 'चौदह वर्ष से ।' मानसिंह – 'सन्त तो इतने समय तक एक स्थान पर नहीं रहा करते हैं फिर आप कैसे रहे ?' दादूजी ने राजा के मन का भाव जान कर कहा – 'हरि इच्छा ऐसी ही थी ।'
.
फिर दूसरे दिन वहां से जाने का विचार कर लिया । प्रात: ही अपने शिष्यों के सहित चल दिये । उधर रात्रि में राजा को स्वप्न में आवाज सुनाई दी – 'तूने बैठे भजन करते हुये सन्तों को छेड़ा है, इसलिये राज्य सहित नष्ट हो जायगा ।' भयभीत होकर राजा ने प्रार्थना करी – 'मेरा अपराध क्षमा कीजिये ।' पुन: आवाज आई – 'तू सन्तों की ही शरण जा, वे ही क्षमा कर सकते हैं ।' वे क्षमा करा सकते हैं ।'
.
प्रातः ही राजा आश्रम पर आया तो ज्ञात हुआ कि वे तो चले गये । राजा शीघ्र गति से चल कर जयपुर आँमेर की घाटी के बीच में सन्तों के पास जा पहँचे और अपना स्वप्न सुना कर क्षमा याचना की । परम दयालु दादूजी ने राजा का दोष क्षमा कराने के लिये भगवान् से प्रार्थना की । भगवान् ने कहा – 'तुम्हारी प्रार्थना से इस समय तो क्षमा किया जाता है किन्तु सौ वर्ष के बाद यह नगर खण्डहर होजायेगा ।
.
वैसा ही हुआ आगे चल कर जयपुर बस गया और आँमेर खण्डहर होगया । राजा ने पुन: आँमेर में निवास करने की बहुत प्रार्थना की किन्तु कुछ दिन राजा को संतुष्ट करके तथा राजा के विशेष आग्रह पर अपने शिष्य जगन्नाथजी को वहां छोड़कर दादूजी चले गये । इससे सूचित होता है कि प्रार्थना से दूसरे के दोष भी क्षमा कराये जा सकते हैं ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें