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*करणहार कर्त्ता पुरुष, हमको कैसी चिंत ।*
*सब काहू की करत है, सो दादू का दादू मिंत ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- *॥ ६ प्रार्थना भक्ति ॥*
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*॥ प्रार्थन से भले कार्य क्रम भी पूर्ण हों ॥*
करे प्रार्थना होत है, भले कार्यक्रम पूर्ण ।
मूलर के विनती करत, हटा कोहरा तूर्ण ॥१५८॥
द्रिस्तांतकथा - जार्ज मूलर जहाज से कनाडा जा रहे थे । अचानक चारों ओर घना कोहरा छा गया । उससे जहाज को रोकना पड़ा । चौबीस घन्टे बीत गये किन्तु आकाश साफ़ नहीं हुआ । मूलर ने जहाज के कप्तान को अपना कार्य क्रम सुनाते हुये कहा – 'मुझे शनिवार को तीसरे पहर क्यूबेक अवश्य पहुंचना है ।' कप्तान – 'यह असम्भव है ।'
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मूलर – 'मैनें पिछले सत्तावन वर्षों में अपना कार्यक्रम नहीं तोड़ा है, यदि तुम्हारा जहाज नहीं पहुंचा सकता तो ईश्वर कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे ।' यह कहकर मूलर ने भगवान् से प्रार्थना की । फिर तो शीघ्र ही कोहरा हट गया और मूलर ठीक समय पर क्यूबेक पहुँच गये । इससे सूचित होता है कि प्रार्थना से भले कार्य क्रम में आने वाले विघ्न भी नष्ट हो जाते हैं ।
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