रविवार, 26 सितंबर 2021

*ज्ञान अनन्त दियो अनन्तानन्द*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*दादू भीतर पैसि कर, घट के जड़े कपाट ।*
*सांई की सेवा करै, दादू अविगत घाट ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*मू. इ.- ज्ञान अनन्त दियो अनन्तानन्द,*
*यूं प्रकट्यो कृष्णदास पैहारी ।*
*योग उपासि जुगत्ति से तेजसि,*
*अन्तर वृत्ति अकिंचन धारी ॥*
*जाके घर्यो कर शीश कृपा करि,*
*तासु की भेंट भिटी न निहारी ।*
*राघो बड़ी रहणी मिल्यो राम को,*
*मोक्ष को पंथ निकाय के भारी ॥१७८॥*
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स्वामी अनन्तानन्द जी ने अनन्त ब्रह्म सम्बन्धी ज्ञान प्रदान किया था, तब ही तो इस प्रकार पयहारी कृष्णदास जी प्रकट हुए थे ।
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तेजस्वी कृष्णदास जी पयहारी ने योग की युक्ति द्वारा भगवान् की उपासना करके अपने मन की वृत्ति को तीव्र वैराग्य धारण द्वारा अन्तर्मुख किया था..
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और कृपा करके जिसके शिर पर अपना वरदहस्त धरा था अर्थात् जिसको शिष्य किया था उसकी भेंट को न तो छुआ ही था और न उसकी ओर देखा ही था ।
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आप के रहने का ढंग महान् था । उसके द्वारा आपने मोक्ष मार्ग के ज्ञानादि भारी साधन संग्रह कर राम को प्राप्त किया था ।
(क्रमशः)

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