रविवार, 16 जनवरी 2022

*गुरु शिष्य*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
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*दादू मोहि भरोसा मोटा,*
*तारण तिरण सोई संग मेरे, कहा करै कलि खोटा ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पद्यांश. १९०)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*गुरु शिष्य*
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*मू. छ. –*
*अति प्रतीति उर वचन की,*
*गुरु गदित१ शिष्य सत मानियो ॥*
*सीख पाय के चल्यो, कहूं कारज के तांई ।*
*मेरे मन की बात, कहूंगी शीघ्र सु आंई ॥*
*राम शरण भये स्वामि, दग्ध करने ले जांहीं ।*
*मन गुर-गिर२ विश्वास, फेरि लिये अस्थल मांहीं ॥*
*विभू३ वर्ष रहि यह कही,*
*हरि-जन इक जानियो ।*
*अति प्रतीति उर वचन की,*
*गुर गदित शिष्य सत मानियो ॥२११॥*
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एक शिष्य ने अति विश्वास पूर्वक गुरु जी के कहे१ हुए वचन को अपने हृदय में सत्य माना था ।
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गुरुजी की आज्ञा लेकर, शिष्य एक कार्य करने जा रहे थे । जाते समय गुरुजी ने कहा – “अच्छा जाओ किन्तु शीघ्र आना, तुमको मैं मेरे मन की बात कहूँगा ।”
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शिष्य कार्य करके आया तो देखा, गुरुजी का देहान्त हो गया है । भक्त लोग दाह संस्कार करने लेजा रहे हैं । शिष्य के हृदय में गुरुजी की बाणी२ का पूर्ण विश्वास था । उसने भक्तों को यह कहकर कि – गुरु जी ने मुझे कुछ कहने की प्रतिज्ञा की थी, गुरुजी का वचन कदापि मिथ्या नहीं हो सकता, शव के सहित सब लोगों को लौटाकर गुरु धाम पर ले आया और प्रार्थना की – आपने कहा था – आने पर तुझको मेरे मन की बात कहूँगा । सो मैं आ गया हूँ, वह बात कहिये ।
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समर्थ गुरु जीवित होकर बोले – “हरि, भक्तजन और गुरु को एक ही मानना ।” शिष्य ने प्रार्थना की – आपकी आज्ञानुसार मेरी मान्यता पूर्वक सेवा को देखने के लिये, आप कुछ दिन शरीर को रखिये । शिष्य की प्रार्थना पर गुरुजी एक३ वर्ष फिर जीवित रहे ।
(क्रमशः)

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